Spies Of War: वो महिला जासूस …जिससे असली नाम तक नहीं उगलवा पाए थे दुश्मन! बेपनाह ‘नूर’ ने ही पकड़वाया

Last Updated:

Spies Of War : जब नूर इनायत खान को पकड़ा गया, तो उसे जमकर प्रताड़ना दी गई. वो ऐसी बेड़ियों में बांधी गई, जिससे न तो वो बैठ पाए और न ही खड़ी हो पाए. कभी जिसके हुस्न के चर्चे थे, पिटाई और भूख से उसका बुरा हाल कर …और पढ़ें

Spies Of War: वो महिला जासूस ...जिससे असली नाम तक नहीं उगलवा पाए थे दुश्मन!

राजकुमारी जब जासूस बनी तो कमाल कर दिया.

सिर्फ खूबसूरती आपकी पहचान नहीं बनाती, अगर सुंदरता के साथ-साथ तेज़ दिमाग मिल जाए, तो महिलाएं कुछ ऐसा कर जाती हैं कि पीढ़ियां उन्हें याद रखती हैं. एक ऐसी ही बेपनाह हुस्न की मल्लिका और जासूस राजकुमारी की कहानी हम आपको आज बताएंगे, जिसका भारत से ताल्लुक था. वो बात अलग है कि उसका नाम आज भी फ्रांस और ब्रिटेन में सम्मान से लिया जाता है और कम ही भारतीय उन्हें जानते हैं.

हम बात कर रहे हैं – जासूस नूर इनायत खान की. जैसा उनका नाम था, उतनी ही वो खूबसूरत थी लेकिन बेहद खतरनाक भी. आप उनके शातिर दिमाग का अदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि वो दशकों तक हिटलर की सेना के राज़ निकालकर ब्रिटेन और फ्रांस को देती हैं और उन्हें भनक तक नहीं हुई. दुश्मनों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी नूर इनायत खान का अंत दर्दनाक हुआ लेकिन उनका नाम इतिहास के पन्नों में वीरता और बहादुरी के लिए दर्ज हो गया.

टीपू सुल्तान के खानदान से थी नूर

नूर इनायत खान भारत की धरती से ताल्लुक रखती थीं. वो मैसूर के महाराजा टीपू सुल्तान के वंश से थीं लेकिन उनका जन्म साल 1914 में रूस की राजधानी मॉस्को में हुआ था. उनके पिता हिंदुस्तानी लेकिन मां अमेरिकन थीं. उनकी परवरिश फ्रांस में हुई लेकिन जर्मनी के हमले के चलते वे वहां से भागकर परिवार के साथ ब्रिटेन में रहने लगीं.यहां आकर ही उन्होंने ब्रिटिश आर्मी में वालंटियर के तौर पर एंट्री ली और एक सीक्रेट एजेंट बन गईं. वो फासीवाद से लड़ना चाहती थीं और ब्रिटेन की मदद करना चाहती थी.

खूबसूरत …पर बेहद चालाक

ब्रिटिश सेना के लिए काम करते हुए दुश्मनों के बीच रहकर गुप्त जानकारी जुटाई. उनकी खूबसूरती ने कई बार दुश्मनों को गुमराह किया, लेकिन असल में वह एक बेहद तेज-तर्रार और चालाक एजेंट थीं. 1943 में वो फ्रांस में मिशन पर गई. उन्होंने वायरलेस रेडियो ऑपरेटर के तौर पर काम किया और हिटलर की नाजी सेना के नाक के नीचे से खुफिया जानकारियां जुटाकर ब्रिटेन भेजीं. वो वहां पर मेरी रेनियो के तौर पर रहीं और उनका तौर-तरीका और भाषा इतनी फ्रेंच थी कि कोई समझ ही नहीं पाया कि वो एजेंट है. उनके कुछ साथी पकड़े भी गए लेकिन वो बचती रही.

‘हुस्न’ की बन गया दुश्मन

नूर अपने मिशन को बखूबी अंजाम दे रही थीं और नाजी कैंप में बौखलाहट मची हुई थी. हालांकि अपने एक साथी की गद्दारी ने उसे अक्तूबर,1943 में गिरफ्तार करा दिया. हैरानी की बात ये है कि उनकी गिरफ्तारी इसलिए हुई क्योंकि उनके एक साथी की बहन नूर की खूबसूरती से जलती थी. उनकी तारीफ से जलकर उसने जर्मन एजेंटों को उनके बारे में बता दिया और नूर की गिरफ्तारी हुई. हालांकि नूर इतनी ट्रेंड थी कि उन्होंने 5-6 जर्मन एजेंट्स को भरपूर परेशान किया, तब जाकर वो उसे काबू कर पाए.

B2 रेडियो सेट के ज़रिये पहुंचाती थीं सूचनाएं.

यूं शुरू हुआ बुरा दौर …

जासूस नूर की ज़िंदगी पर लिखी किताब ‘द स्पाई प्रिसेंज: द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान’ में बताया गया कि पिस्टल के बल पर उन्हें काबू करके पकड़ा गया. हालांकि जर्मन सेना के कब्ज़े में रहते हुए भी उन्होंने कई बार भागने की कोशिश की पर कामयाब नहीं हुई. सज़ा के तौर पर उसे खतरनाक कैदियों की श्रेणी में डालकर जर्मनी के फोरजी जेल में भेजा गया. यहां उन्हें भरपूर यातनाएं दी गईं. उनके हाथ-पांव भारी बेड़ियों में बांधे गए. छोटी सी कोठरी में उनसे न सिर्फ सवाल पूछे जाते थे बल्कि खूब पिटाई भी की जाती थी. कई-कई दिन तक भूखा रखा जाता था और सोने तक नहीं दिया जाता था.

नाम तक नहीं उगलवा पाया कोई

इतनी यातनाओं के बाद भी जर्मन एजेंट्स जासूस नूर का असली नाम तक नहीं पता कर पाए. जब नूर का मनोबल किसी भी हाल में नहीं टूटा, तो आखिरकार उन्हें प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारकर मौत दे दी गई. इस शातिर और बहादुर जासूस की कहानी सिर्फ 30 साल की थी, जिसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस में उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मानों से नवाज़ा गया और वो इतिहास बन गई.

authorimg

Prateeti Pandey

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा…और पढ़ें

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा… और पढ़ें

homeworld

Spies Of War: वो महिला जासूस …जिससे असली नाम तक नहीं उगलवा पाए थे दुश्मन!

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *