उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान नरेन्द्र मोदी ने मीडिया के साथ बातचीत को एक शो की तरह प्रोड्यूस, डायरेक्ट और स्क्रिप्ट किया – जिसमें उन्होंने खुद को ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल’’ बताने वाला चर्चित दावा भी किया था। लेकिन अब तक उन्होंने कभी भी बिना संपादन, बिना स्क्रिप्ट वाली एक भी असली प्रेस वार्ता करने का साहस नहीं दिखाया।’’
रमेश ने लिखा, ‘‘यह उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से बिल्कुल उलट है, जिनसे वे विशेष रूप से नफरत करते हैं, वे तो लगभग हर दूसरे महीने बेधड़क प्रेस वार्ता करते थे, जहां उनसे कठोर सवाल पूछे जाते थे और वे गंभीरता और संयम से जवाब देते थे। हमारे लोकतंत्र की बुनियादें, ऐसी ही संवाद परंपराओं से मजबूत हुई हैं।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ