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Raipur Femous Market :पुरानी बस्ती में स्थित यह टुरी हटरी बाजार न केवल खरीदारी का केंद्र रहा है, बल्कि रायपुर के सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास का भी अहम हिस्सा है. टूरी हटरी का जिक्र आते ही बरसों पुराना एक चित्र…और पढ़ें

टुरी हटरी, रायपुर
हाइलाइट्स
- टूरी हटरी बाजार रायपुर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र है.
- महिलाओं और बच्चियों के श्रृंगार सामग्री बेचने का प्रमुख स्थल था.
- टूरी हटरी नाम 14वीं शताब्दी से प्रचलित है.
रायपुर: राजधानी रायपुर की पहचान जहां आज हाईटेक मॉल, ब्रांडेड स्टोर और चमचमाते शॉपिंग कॉम्प्लेक्स से होती है, वहीं शहर की आत्मा आज भी उसके पुराने बाजारों की परंपरा और इतिहास में बसती है. इन्हीं ऐतिहासिक स्थलों में एक है टूरी हटरी बाजार, जिसकी कहानी केवल बाजार की नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक विरासत की भी है.
इलाके के सीनियर सिटीजन सुभाष चंद्र अग्रवाल और राजकुमारी कश्यप ने बताया वे इस इलाके में उनका बचपन गुजरा है. वे बताते हैं कि टूरी हटरी नाम अपने आप में एक कहानी है. ‘टूरी’ का अर्थ होता है छोटी बच्ची, और ‘हटरी’ यानी बाजार. 14वीं शताब्दी के अंत में जब यह इलाका ब्रम्हपुरी नगर के नाम से जाना जाता था, तब यहां छोटे स्तर पर बाजार लगना शुरू हुआ. उस समय छोटी बच्चियां इस बाजार में बैठती थीं और महिलाओं के साज-सज्जा के सामान बेचा करती थीं. धीरे-धीरे यह बाजार महिलाओं का प्रमुख आकर्षण बन गया और इसका नाम टूरी हटरी पड़ गया.
आज भले ही बाजार के स्वरूप में बदलाव आया है, दुकानों में प्लास्टिक की कुर्सियों और चमचमाते बोर्डों ने जगह बना ली है, लेकिन टूरी हटरी की आत्मा आज भी ज़िंदा है. सुबह होते ही बाजार की दुकानें सज जाती हैं और रात तक रौनक बनी रहती है. फर्क बस इतना है कि अब मुख्य रूप से स्थानीय लोग ही खरीदारी करने आते हैं, लेकिन नाम वही पुराना टूरी हटरी है.