Turkey News | Recep Tayyip erdogan: तुर्की में एर्दोगन की तानाशाही की ओर बढ़ती चाल.

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Recep Tayyip Erdogan: तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन नए संविधान के बहाने ताउम्र सत्ता में बने रहने की योजना बना रहे हैं. विपक्ष इसे सत्ता में बने रहने की साजिश मान रहा है.

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तुर्की में एर्दोगन की तानाशाही की ओर बढ़ती चाल.

हाइलाइट्स

  • एर्दोगन आजीवन राष्ट्रपति बनने के लिए संविधान बदल रहे हैं.
  • विपक्ष इसे सत्ता में बने रहने की साजिश मान रहा है.
  • एर्दोगन 2003 से तुर्की की सत्ता में हैं.

पाकिस्तान की संगति का असर अब तुर्की पर भी दिख रहा है. शहबाज शरीफ का यार अब तानाशाह बनने की राह पर है. एर्दोगन ने ऐसी चाल चली है, जिससे वह ताउम्र तुर्की के राष्ट्रपति बने रहेंगे. कुर्सी की खातिर राष्ट्रपति एर्दोगन संविधान ही बदल रहे हैं. जी हां, एर्दोगन ने नए संविधान के मसौदे को तैयार करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की एक टीम गठित की है. एर्दोगन का कहना है कि मौजूदा संविधान पुराना हो चुका है और इसे बदलने की जरूरत है. हालांकि यह उनकी कुर्सी पर ताउम्र बने रहने की चाल है. यह बात विपक्ष भी समझ रहा है.

एर्दोगन के इस चाल पर विपक्ष और उनके आलोचकों का कहना है कि यह कदम 2028 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी सत्ता में बने रहने की साजिश है. नए संविधान से एर्दोगन 2028 में अपना मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी सत्ता में बने रह सकते हैं. साल 2014 से तुर्की के राष्ट्रपति के रूप में नेतृत्व कर रहे एर्दोगन इससे पहले एक दशक से अधिक समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे.

क्या है एर्दोगन की दलील

उन्होंने एक नए संविधान की वकालत की है. उनकी दलील है कि वर्तमान संविधान जिसे 1980 में एक सैन्य तख्तापलट के बाद तैयार किया गया था, अब पुराना हो चुका है और इसमें कई बार संशोधन के बावजूद इसमें सैन्य प्रभाव के तत्व बरकरार हैं. एर्दोगन तुर्की की सत्ता में साल 2003 से हैं. पहले उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में एक दशक से अधिक समय तक देश चलाया और 2014 से राष्ट्रपति के पद पर बने हुए हैं. 2017 में किए गए संवैधानिक संशोधनों के बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद की शक्तियों को और मजबूत किया था. अब नए संविधान के बहाने वे एक बार फिर ‘आजीवन राष्ट्रपति’ बनने की राह पर हैं.

विपक्ष को समझ आ गई चाल

हालांकि, विपक्षी दल एर्दोगन की दलील को सिर्फ एक बहाना मान रहे हैं. उनका कहना है कि एर्दोगन ने पहले भी संवैधानिक बदलावों की आड़ में अपनी सत्ता को मजबूत किया है.अब वे 2028 के बाद भी राष्ट्रपति पद पर बने रहने के रास्ते तलाश रहे हैं. कुछ विश्लेषकों का तो यहां तक कहना है कि तुर्किए अब धीरे-धीरे एक व्यक्ति के शासन की ओर बढ़ रहा है.

मुस्लिमों के मसीहा बनना चाहते हैं एर्दोगन

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन की तुलना अक्सर रूस के व्लादिमीर पुतिन से की जाती है, जिन्होंने संविधान में संशोधन कर खुद को 2036 तक सत्ता में बने रहने का रास्ता बनाया. अब तुर्की में भी वैसी ही राजनीतिक स्क्रिप्ट तैयार हो रही है. दिलचस्प बात यह है कि एर्दोआन के करीबी सहयोगियों और मीडिया ने इसे ‘जनता की मांग’ बताते हुए समर्थन देना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री समेत कई इस्लामी राष्ट्रों के नेताओं ने एर्दोगन को समर्थन दिया है, जिससे यह धारणा और मज़बूत हो रही है कि एर्दोगन मुस्लिम दुनिया में खुद को नेता के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं.

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Shankar Pandit

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho…और पढ़ें

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