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United Nations Fund Crisis: संयुक्त राष्ट्र (UN) आर्थिक संकट से जूझ रहा है और 20 प्रतिशत स्टाफ कटौती की योजना बना रहा है. महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने 60 से अधिक एजेंसियों को इस कटौती को लेकर प्रस्ताव प्रस्तुत क…और पढ़ें

यूएन पर ये कैसा संकट?
हाइलाइट्स
- संयुक्त राष्ट्र 20% कर्मचारियों की छंटनी करेगा.
- UN आर्थिक संकट से जूझ रहा है, 60 एजेंसियों को प्रस्ताव देने का आदेश.
- अमेरिका समेत कई देशों ने सदस्यता राशि समय पर नहीं चुकाई.
United Nations Fund Crisis: दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत संयुक्त राष्ट्र आर्थिक संकट का सामना कर रही है. पश्चिम देशों के एकाधिकार वाली इस संस्था में लंबे से समय से सुधार की मांग हो रही है. यह वही संस्था है जो बात-बात पर आतंकवाद की पीड़ा झेल रहे भारत का साथ देने की बजाय उलटे पाकिस्तान को लेकर भारत को ही ज्ञान देने लगती है. पीएम नरेंद्र मोदी कई बार इस संस्था और व्यापक और सही मायनों में दुनिया का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था बनाने की वकालत कर चुके है. इसके सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाने की मांग होती रही है. लेकिन, यह इन सभी चीजों को दरकिनार करता रहा है. मौजूदा वक्त में यह तेजी से अपनी सार्थकता खो रहा है.
इस बीच इस पर कंगाली के भी बादल छाने लगे हैं. गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही इस वैश्विक संस्था ने दुनियाभर में अपने ऑफिसों से 20 प्रतिशत कर्मचारियों की छुट्टी करने की तैयारी कर रही है. महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने 60 से अधिक यूएन एजेंसियों, कार्यालयों और कार्यक्रमों को प्रोपोजल का आदेश दिया है. इसमें कहा गया है कि जून के मध्य तक 20 प्रतिशत स्टाफ कटौती का प्रस्ताव प्रस्तुत करें. यह फैसला UN80 नामक सुधार पहल का हिस्सा है, जिसे संगठन की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर लॉन्च किया गया है.
यूएन प्रवक्ता स्टेफ़न दुजारिक ने शुक्रवार को बताया कि यह कटौती नियमित बजट के तहत आने वाले लगभग 14,000 पदों में से करीब 2,800 पदों को प्रभावित करेगी. इनमें राजनीतिक, मानवीय सहायता, शरणार्थी राहत, लैंगिक समानता, पर्यावरण, व्यापार और शहरी विकास जैसे प्रमुख विभागों के कर्मचारी शामिल हैं. यहां तक कि फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली UNRWA एजेंसी भी इस सूची में है. यूएन के नियंत्रक चंद्रमौली रमणाथन ने संबंधित एजेंसियों को भेजे गए एक ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि यह कदम 3.72 अरब डॉलर के मौजूदा बजट को 15 से 20 प्रतिशत तक घटाने की योजना के तहत उठाया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि “कार्य की दक्षता, प्रभाव की प्राथमिकता और अनावश्यक या गैर-आवश्यक भूमिकाओं को समाप्त करने” के आधार पर पदों की समीक्षा की जाए.
कौन जिम्मेदार?
हालांकि गुटेरेस ने इस कटौती का अमेरिका की विदेशी सहायता में की गई कटौती से कोई सीधा संबंध नहीं बताया है, मगर सच्चाई तो यहीं है. अमेरिका समेत कई देशों ने UN को समय पर अपनी सदस्यता राशि नहीं चुकाई. 2023 में 193 सदस्य देशों में से केवल 152 ने अपनी राशि पूरी तरह से समय पर चुकाई, जबकि 41 देश Including अमेरिका ने राशि जमा नहीं की. चीन, यूएन में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है. यूएन के पूरे फंड का 20 प्रतिशत हिस्सा चुका रहा है जबकि अमेरिका का कोटा 22 प्रतिशत है.
शुरू हो गई नौकरी की काट
यूएन की वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) पहले ही 30 प्रतिशत स्टाफ की छंटनी की योजना बना रहा है. वहीं, UNHCR (शरणार्थी एजेंसी) अपने मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों को छोटा करने और सीनियर पदों में 50% कटौती की तैयारी में है. यूनिसेफ (UNICEF) और OCHA (मानवीय राहत एजेंसी) भी अपनी लागत घटाने के लिए स्टाफ कम करने की योजना पर काम कर रहे हैं.
शांति मिशन पर कोई असर नहीं
हालांकि, फंड क्राइसिस का संयुक्त राष्ट्र के 11 शांति मिशन इस संकट से प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि उनका फंड एक अलग बजट से आता है. लेकिन, यह संकट यह स्पष्ट कर रहा है कि यूएन जैसी वैश्विक संस्था को भी समय के साथ टिके रहने के लिए आत्मसुधार, जवाबदेही और वित्तीय अनुशासन अपनाना होगा. विश्वभर में चल रहे मानवीय राहत कार्यक्रमों की दिशा और गति को भी प्रभावित कर सकती है. प्रस्तावों की अंतिम तिथि 13 जून रखी गई है. इन्हें दिसंबर में यूएन महासभा में प्रस्तावित 2026 के बजट में शामिल किया जाएगा.

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व…और पढ़ें
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व… और पढ़ें