US Haqqani Network: अमेरिका में अफगानी नागरिक की फर्जी पहचान से ग्रीन कार्ड की चौंकाने वाली कहानी

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Afghanistan Citizen US: अफगानी नागरिक दिलबर गुल ने अमेरिकी सेना का सहयोगी बनकर ग्रीन कार्ड हासिल किया, लेकिन वह हक्कानी नेटवर्क से जुड़ा निकला. अमेरिकी जांच प्रणाली की चूक से सवाल उठे हैं.

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अमेरिका में हक्कानी नेटवर्क से जुड़े एक समर्थक को गिरफ्तार किया गया है. (AI)

हाइलाइट्स

  • अमेरिका में हक्कानी नेटवर्क का आतंकी पकड़ा गया
  • दिलबर गुल ने झूठे दस्तावेजों से ग्रीन कार्ड हासिल किया
  • अमेरिकी जांच प्रणाली की चूक पर सवाल उठे

वाशिंगटन: अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने का सपना हर साल लाखों लोग देखते हैं. एक अफगानी नागरिक ने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए जो कहानी गढ़ी, वो न सिर्फ चौंकाने वाली है बल्कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की सतर्कता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है. 33 साल का दिलबर गुल नाम का यह व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चों के साथ ‘अमेरिकी सेना का सहयोगी’ बनकर US पहुंच गया. लेकिन उसकी असल पहचान इससे एकदम उलट निकली. अमेरिकी सेना का सहयोगी होने की जगह वह आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क से जुड़ा था. CIA समेत अमेरिका की दूसरी एजेंसियां भी इसके बारे में पता नहीं लगा पाईं.

दिलबर गुल स्पेशल इमीग्रेंट वीजा (SIV) के जरिए 2023 में अमेरिका आया था. यह वही वीजा है जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की मदद करने वालों को सुरक्षा के लिए दिया जाता है. दस्तावेजों में उसने खुद को ट्रांसलेटर और अमेरिकी मिशन का सहायक बताया था. मार्च 2024 में उसे यह विशेष वीजा मिल गया और जुलाई में उसे अमेरिका का ग्रीन कार्ड भी दे दिया गया. लेकिन सच्चाई ज्यादा समय तक छिप नहीं पाई. जब दिलबर ने अमेरिका के रोचेस्टर इलाके में एक कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन किया और वहां अपने वीजा दस्तावेज लगाए, तब अमेरिकी एजेंसियों की जांच में वह फर्जी निकला.

अमेरिकी जांच पर उठे सवाल

यह भी खुलासा हुआ कि दिलबर का पहले भी 2016 में आवेदन खारिज हो चुका था, लेकिन इस बार उसने झूठ और जालसाजी के दम पर सिस्टम को चकमा दे दिया. जांच में सबसे सनसनीखेज बात यह सामने आई कि दिलबर गुल के हक्कानी नेटवर्क से संबंध हैं. हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों पर कई हमले किए हैं और जिसे दुनिया के सबसे ख़तरनाक आतंकी संगठनों में गिना जाता है. अब सवाल यह है कि इतनी कड़ी और ‘फुल-प्रूफ’ मानी जाने वाली अमेरिकी जांच प्रणाली आखिर कैसे चूक गई? सवाल यह भी है कि अगर दिलबर नौकरी के लिए आवेदन न करता, तो क्या वह अमेरिका में किसी बड़ी आतंकी साज़िश को अंजाम देने की योजना में था?

यह घटना न सिर्फ अमेरिकी एजेंसियों की प्रक्रिया में एक बड़ी चूक को दिखाती है, बल्कि उन खतरों को भी सामने लाती है जो शरणार्थी या प्रवासी पहचान के पीछे छिपे हो सकते हैं. दिलबर की गिरफ्तारी एक बड़ी आतंकी घटना को रोकने में मददगार हो सकती है.

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Yogendra Mishra

योगेंद्र मिश्र ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन किया है. 2017 से वह मीडिया में जुड़े हुए हैं. न्यूज नेशन, टीवी 9 भारतवर्ष और नवभारत टाइम्स में अपनी सेवाएं देने के बाद अब News18 हिंदी के इंटरने…और पढ़ें

योगेंद्र मिश्र ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन किया है. 2017 से वह मीडिया में जुड़े हुए हैं. न्यूज नेशन, टीवी 9 भारतवर्ष और नवभारत टाइम्स में अपनी सेवाएं देने के बाद अब News18 हिंदी के इंटरने… और पढ़ें

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