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लखनऊ के बंथरा थाना क्षेत्र के दरियापुर में रेल कर्मी सिद्धि प्रसाद लोधी की हत्या में पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है. हत्या की साजिश में मृतक की पत्नी मंजू देवी और उसके रिश्ते के भांजे आकाश वर्मा शामिल थे.

पत्नी का था भतीजे से संबंध (image credit-canva, ai)
हाइलाइट्स
- पत्नी का था भतीजे से संबंध
- 40,000 रुपये में दी सुपारी
- पति को उतारा मौत के घाट
आकाश को घर में बुलाया और…
पुलिस ने मंजू पर नजर रखना शुरू किया, जिसके बाद बड़ा खुलासा हुआ. दरअसल, पत्नी और भतीजे आकाश ने, एक रात जब परिवार के सभी लोग एक शादी में गए हुए थे. इसी मौके का फायदा उठाकर मंजू ने प्रेमी भतीजे आकाश को घर बुलाया और उसे अंदर घुसने का इशारा दिया. आकाश अपने दोस्त संजय कश्यप के साथ आया था, जो गोंडा का निवासी है और लखनऊ की एक नमकीन फैक्ट्री में काम करता है. दोनों ने मिलकर सिद्धि को पहले रस्सी से गला घोंटकर मारा और फिर लोहे की पाइप से उसके सिर पर वार कर के मौत के घाट उतार दिया. हत्या के बाद शव को घर के पीछे तालाब में फेंक दिया गया और पास में ही सिद्धि की चप्पल, मोबाइल और कपड़े रख दिए गए ताकि यह एक दुर्घटना लगे, और अगली सुबह पत्नी ने खुद ही पुलिस के पास जाकर पति के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.
जांच के करने पर पति का शव गांव के एक सूखे तालाब में मिला, DSP अमित कुमावत ने बताया कि शुरुआती जांच में ही पता चल गया कि यह एक पहले से ही प्लान की गई हत्या थी. बंथरा पुलिस और साउथ जोन सर्विलांस टीम की छानबीन में खुलासा हुआ कि मंनजू का अपने पति के 25 वर्षीय भतीजे आकाश वर्मा के साथ अवैध संबंध था. सिद्धि प्रसाद की शराब की लत और जुए की आदतों से परेशान होकर मंजू ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति को रास्ते से हटाने प्लानिंग की.
40,000 में दी सुपारी
वहीं, पूछताछ में पता चला कि हत्या के लिए संजय कश्यप को ₹40,000 देने की बात हुई थी, जिसमें ₹5,000 की एडवांस में दे दिया गया था. बाकी रकम हत्या के बाद दी जानी थी. फिलहाल मंजू देवी और आकाश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि संजय कश्यप अब भी फरार है. उसकी तलाश में पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं.
डीसीपी निपुण अग्रवाल ने बताया कि पूछताछ में आकाश ने अपराध कबूल कर लिया. अब पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की जाने वाली रस्सी और लोहे की पाइप पास के एक नाले से बरामद कर ली है. पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 103(1) के तहत केस दर्ज किया था, जिसे आगे बढ़ाते हुए अपराध स्वीकारोक्ति और फॉरेंसिक सबूतों के आधार पर धारा 238A और 353(3) BNS मामला दर्ज किया गया है.